Wednesday, September 22, 2010

फैसला

फैसला .....फैसला .....फैसला .....? आखिर किस का फैसला .....? फैसला हमें बांटने का फैसला हमारे दिलों का!क्या देश का प्रत्येक ब्यक्ति चाहता है कि हम फैसले का इंतजार करें. अरे मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने वालो बहुत हो गई राजनीती अब तो बंद कर दो अब देश का बच्चा-बच्चा आप की राजनीति समझ गया है. अब घायल भारत माता को और मत रुलाओ. इस माँ ने क्या तुमें जन्म दे कर गलती कर दी... जो धर्म के नाम पर लहुलुहान करते जा रहे हो...... ये हमारी ही नहीं देश के हर नागरिक की सोच है.हमें दूर मत करो हमारे ही परिवार से हम कहीं भी मंदिर बना लेंगे और कहीं भी मस्जिद चिंता आप को नहीं होनी चाहिए आप तो अपने राज्य करने कि चिंता करो कैसे करेंगे? जिन्दा रहने के लिए रोटी,कपड़ा और मकान तो दे नहीं पा रहे चले हैं चिंता करने कि पूजा/सजदा के लिए जगह दे दें. हमारा ध्यान मत बांटो हमारा ध्यान सिर्फ रोटी,कपड़ा और मकान पर है और इस कि पूर्ति करके परिवार चलाने दो. चिंता आप करें जो देश की जनता को रोटी,कपड़ा और मकान देने मैं सक्षम तो हैं नहीं और जनता का ध्यान भटकाने के लिए मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने के लिए बैठ गए ताकि जनता रोटी,कपड़ा और मकान के लिए हमारी कुर्सी न खींच ने लगे. फैसला तो होगा पर फैसला रोटी,कपड़ा और मकान का होगा न कि मंदिर और मस्जिद का!!!! फैसला होगा उस कुर्सी का जो रोटी,कपड़ा और मकान नहीं दे पारही हैं . ६२ वर्षों से जनता को बेबकूफ बनाते आरहे राजनीतिज्ञों अब हर ब्यक्ति तुम्हारी चाल से वाकिफ हो गया है............... संतोष सिंह सिकरवार

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  1. फैसला .....फैसला .....फैसला .....? आखिर किस का फैसला .....? फैसला हमें बांटने का फैसला हमारे दिलों का!क्या देश का प्रत्येक ब्यक्ति चाहता है कि हम फैसले का इंतजार करें. अरे मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने वालो बहुत हो गई राजनीती अब तो बंद कर दो अब देश का बच्चा-बच्चा आप कि राजनीति समझ गया है. अब घायल भारत माता और मत रुलाओ. इस माँ ने क्या तुमें जन्म दे कर गलती कर दी... जो धर्म के नाम पर लहुलुहान करते जा रहे हो...... ये हमारी ही नहीं देश के हर नागरिक सोच है.हमें दूर मत करो हमारे ही परिवार से हम कहीं भी मंदिर बना लेंगे और कहीं भी मस्जिद चिंता आप को नहीं होनी चाहिए आप तो अपने राज्य करने कि चिंता करो कैसे करेंगे? जिन्दा रहने के लिए रोटी,कपड़ा और माकन तो दे नहीं पा रहे चले हैं चिंता करने कि पूजा/सजदा के लिए जगह दे दें. हमारा ध्यान मत बांटो हमारा ध्यान सिर्फ रोटी,कपड़ा और माकन पर है और इस कि पूर्ति करके परिवार चलाने दो. चिंता आप करें जो देश की जनता को रोटी,कपड़ा और माकन देने मैं सक्षम तो हैं नहीं और जनता का ध्यान भटकाने के लिए मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने के लिए बैठ गए ताकि जनता रोटी,कपड़ा और माकन के लिए हमारी कुर्सी न खींच ने लगे. फैसला तो होगा पर फैसला रोटी,कपड़ा और माकन का होगा न कि मंदिर और मस्जिद का!!!! फैसला होगा उस कुर्सी का जो रोटी,कपड़ा और माकन नहीं दे पारही. ६२ वर्षों से जनता को बेबकूफ बनाते आरहे राजनीतिज्ञों अब हर ब्यक्ति तुम्हारी चल से वाकिफ हो गया है............... संतोष सिंह सिकरवार

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  2. फैसला .....फैसला .....फैसला .....? आखिर किस का फैसला .....? फैसला हमें बांटने का फैसला हमारे दिलों का!क्या देश का प्रत्येक ब्यक्ति चाहता है कि हम फैसले का इंतजार करें. अरे मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने वालो बहुत हो गई राजनीती अब तो बंद कर दो अब देश का बच्चा-बच्चा आप कि राजनीति समझ गया है. अब घायल भारत माता और मत रुलाओ. इस माँ ने क्या तुमें जन्म दे कर गलती कर दी... जो धर्म के नाम पर लहुलुहान करते जा रहे हो...... ये हमारी ही नहीं देश के हर नागरिक सोच है.हमें दूर मत करो हमारे ही परिवार से हम कहीं भी मंदिर बना लेंगे और कहीं भी मस्जिद चिंता आप को नहीं होनी चाहिए आप तो अपने राज्य करने कि चिंता करो कैसे करेंगे? जिन्दा रहने के लिए रोटी,कपड़ा और माकन तो दे नहीं पा रहे चले हैं चिंता करने कि पूजा/सजदा के लिए जगह दे दें. हमारा ध्यान मत बांटो हमारा ध्यान सिर्फ रोटी,कपड़ा और माकन पर है और इस कि पूर्ति करके परिवार चलाने दो. चिंता आप करें जो देश की जनता को रोटी,कपड़ा और माकन देने मैं सक्षम तो हैं नहीं और जनता का ध्यान भटकाने के लिए मंदिर और मस्जिद पर राजनीति करने के लिए बैठ गए ताकि जनता रोटी,कपड़ा और माकन के लिए हमारी कुर्सी न खींच ने लगे. फैसला तो होगा पर फैसला रोटी,कपड़ा और माकन का होगा न कि मंदिर और मस्जिद का!!!! फैसला होगा उस कुर्सी का जो रोटी,कपड़ा और माकन नहीं दे पारही. ६२ वर्षों से जनता को बेबकूफ बनाते आरहे राजनीतिज्ञों अब हर ब्यक्ति तुम्हारी चल से वाकिफ हो गया है............... संतोष सिंह सिकरवार

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